hindisamay head


अ+ अ-

कविता

तुम्हारे जन्म दिन पर

अरुण देव


तुम्हारे सुर्ख होंठों के लिए गुलाब
तुम्हारे स्याह लंबे बालों के लिए लंबी रातें तारों से भरी टिमटटिमाती हुई
तुम्हारे आगोश की नर्म घास पर ओस का गीलापन

तुम्हारी आँखों के लिए...
नहीं... नहीं
उस जैसा कुछ भी तो नहीं

तुम्हारे काँपते जिस्म को ढक लेता हूँ
अपनी चाहत की चादर से

तुम्हारी देह के लिए
मेरी देह मदिर और उत्सुक

तुम्हारे लिए
इस जन्म दिन पर
मैं जलाना चाहता हूँ अधिकतम १८ मोमबतियाँ
तुम्हारी उम्र मेरे लिए वहीं कहीं आस-पास ठहर गई है...

१८ की उस याद के लिए
वह आइसक्रीम।
देखो अब यह जितनी भी रह गई है समय की आँच से पिघलती हुई

तुम्हारी नर्म हथेलियों के लिए
मैं खरगोश बन जाता हूँ

अपनी चमकीली आँखों से तुम्हें निहारता हुआ वह लड़का
तुम्हें याद है
अपनी एटलस साइकिल से जो कई चक्कर लगा लेता था तुम्हारे घर का
रोज ही
तुम्हारे घर के सामने से तेज घंटी बजाता हुआ

इस जन्म दिन पर
क्यों न केवल तुम रहो
सिर्फ तुम

और मैं अपने मैं को छोड़ कर बैठा रहूँ तुम्हारे पास
जब तक बुझ न जाएँ तारे...

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अरुण देव की रचनाएँ